असंतुलित भोजन और जीवनशैली के कारण भी उच्च रक्तचाप होता है, और अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है कि हाई ब्लड प्रेशर होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। इसलिए आप हाई बीपी के लक्षणों का पता चलते ही आहार और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाएं ताकि बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण पा सकें।
–वजन बढ़ने के साथ अक्सर ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। अधिक वजन सोते समय सांस लेने में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इसलिए ब्लड प्रेशर कम करने का एक प्रभावी तरीकास्वस्थ आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां, डेरी प्रोडक्ट्स एवं कम फैट वाले भोजन से बी.पी. कम हो जाता है।
उच्च रक्तचाप के रोगी को अपनी डायट में मैग्निशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ अधिक खाने चाहिए।
-दूध, हरी सब्जियां, दाल, सोयाबीन, प्याज, लहसुन और संतरें में ये पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
-प्रतिदिन मेवे में 4 अखरोट एवं 5 से 7 बादाम खाएं।
-उच्च रक्तचाप में फलों में सेब, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, अनानास, मौसंबी, पपीता।
-हर रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 2 कलियां खाएं।
-खट्टे फल, नींबू पानी, सूप, नारियल पानी, सोया, अलसी और काले चने खाएं।
-रोजाना पानी अधिक मात्रा में पीये।
-भोजन के लिए सोयाबीन तेल इस्तेमाल करना चाहिए।
-सलाद में प्याज, टमाटर, मूली, गाजर, खीरा, गोभी का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
-बिना मलाई वाले दूध का सेवन करें।
-रक्तचाप उच्च होने में ओमेगा-3 भी शामिल करें।
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हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति को डार्क चॉक्लेट का सेवन (blood pressure normal karne ka tarika) करना चाहिए। डार्क चॉक्लेट बी.पी. कम करती है। हृदय धमनियों के माध्यम से खून को शरीर में भेजता है। शरीर की धमनियों में बहने वाले रक्त के लिए एक निश्चित दबाव जरूरी होता है। जब किसी वजह से यह दबाव अधिक बढ़ जाता है, तब धमनियों पर ज्यादा असर पड़ता है। दबाव बढ़ने के कारण धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है। इस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहते हैं। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) एक गंभीर बीमारी है। क्या आपको पता है कि हाई बीपी के लक्षण क्या-क्या होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर होने पर आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। हाई बीपी के इलाज के लिए आपको क्या उपाय (home remedies for high bp) करना चाहिए।
ध्यान रखें कि हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) के कारण आपका हृदय भी काम करना बंद कर सकता है। लगातार उच्च रक्तचाप रहने से आपके शरीर को कई तरह की हानि पहुँच सकता है। इससे हार्ट फेल भी हो सकता है। इसलिए यहां हाई बीपी के लक्षण, हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाना चाहिए और हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू उपाय (blood pressure no
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हाई blood रक्तचाप) क्या है? (What is High Blood Pressure?)
जब व्यक्ति असंतुलित आहार-विहार का सेवन करता है तो कफ व मेद की वृद्धि हो जाती है। कफ और मेद धमनियों में स्थान संश्रय कर धमनियों में कठिनता उत्पन्न करता है और वायु रक्त संवहन की प्रक्रिया को प्रतिकूल गति प्रदान कर रक्तचाप को बढ़ा देती है।
हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के कारण (High Blood Pressure Causes in Hindi)
उच्च रक्तचाप असंतुलित जीवनशैली और आहार के कारण तो होता ही है लेकिन ये भी कारण होते हैं-
-ब्लड प्रेशर हाई होने का प्रमुख कारण मोटापा होता है। मोटे व्यक्ति में बी.पी. बढ़ने का खतरा आम व्यक्ति से ज्यादा होता है।
-शारीरिक श्रम न करना। जो लोग व्यायाम, खेल-कूद और कोई भी शारीरिक क्रिया नहीं करते और आरामतलब जीवन जीते हैं, उन्हें रक्तचाप की समस्या हो सकती है।
-जो व्यक्ति शुगर, दिल के रोग, किडनी के रोगों से ग्रसित होते हैं एवं जिनकी रक्त धमनियां कमजोर होती हैं उनमें रक्तचाप उच्च हो जाता है।
-ज्यादा नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से।
-पिज्जा, बर्गर, चाऊमिन, मोमोज आदि खाने से बी.पी. बढ़ जाता है।
-जो व्यक्ति धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन करते हैं।
-प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को भी बी.पी. बढ़ने की समस्या होती है।
33% शहरी और 25% ग्रामीण भारतीयों को उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप एक वैज्ञानिक शब्द है जिसका उपयोग उच्च रक्तचाप को संबोधित करने के लिए किया जाता है। कुछ बीमारियों के कारण कोलेस्ट्रॉल धमनियों पर जमा हो जाता है और उनके लुमेन को संकुचित कर देते हैं जिससे उनके दीवार पर दबाव बढ़ जाता है। यह हानिकारक है; अनियंत्रित धमनी फट सकती है और आसपास के क्षेत्र को नुकसान पहुंचा सकती है जैसे कि स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में होता है।
आज के समय में भी केवल 25% ग्रामीण और 42% शहरी भारतीय ही अपने उच्च रक्तचाप की स्थिति के बारे में जानते हैं। इनमें से केवल 25% ग्रामीण और 38% शहरी भारतीय उपचार की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में दसवीं और शहरी आबादी के एक-तिहाई लोगों का बीपी नियंत्रण में है। वह कैसे काम करता है? क्या डेटा समर्थन करता है कि दवा के बिना भी उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है? चलिए पता करते हैं –
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अगर दवाइयां नहीं, तो क्या काम आता है?
आपका जीवनशैली हीं इस मामले में सबसे अधिक काम करता है। कुछ विटामिनों, खनिजों, जड़ी-बूटियों के माध्यम से लोग इसको इस को सफलतापूर्वक प्रबंधित किए हैं।
उच्च रक्तचाप को प्रबंधित करने के लिए जीवनशैली में क्या बदलाव आवश्यक हैं?
- कम सोडियम लें जो स्टेज 1 उच्च रक्तचाप में बेहद मददगार है। लगभग 3-6 मिमी एचजी द्वारा रक्तचाप को कम करता है।
- वजन कम करें और इसे बनाए रखें। लगभग 20 पौंड वजन में कमी से सिस्टोलिक रक्तचाप को लगभग 10 से 20 मिमी एचजी तक कम किया जा सकता है। यह आपके बॉडी मास इंडेक्स या कमर हिप अनुपात पर काम करके हासिल किया जा सकता है।
- अल्कोहल का सेवन कम करें- इससे ब्लड प्रेशर में 2–4 mm Hg की कमी पाया गया है।
- योग, प्राणायाम और व्यायाम जैसे एक्सरसाइज को नियमित रूप से करें। इसने रक्तचाप 5 से 8 मिमी एचजी तक कम होता है।
- धूम्रपान छोड़ना- दोनों सिस्टोलिक और डायस्टोलिक उच्च रक्तचाप की सीमा को कम करने पर बड़ा प्रभाव डालता है।
उच्च रक्तचाप आहार क्या है?
DASH नामक एक पद्धति (उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए आहार का दृष्टिकोण) का उपयोग उच्च रक्तचाप को प्रबंधित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है:
- कम सोडियम
- उच्च पोटेशियम
- फल, सब्जियों पर जोर देना
- और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद
- DASH की वजह से ब्लड प्रेशर में 10-12 मिमी Hg की कमी देखी गई है
उच्च रक्तचाप के लक्षणों से राहत के बारे में मिथक:
- विभिन्न ग्रंथों में उल्लिखित है कि लहसुन उच्च रक्तचाप के लक्षणों को कम करता है। इसके विपरीत, जब उच्च रक्तचाप के उपचार की इस पद्धति को लोगों पर लागू किया गया था, तो उनके लिपिड स्तर और रक्त के थक्के पर कोई प्रभाव नहीं दिखा।
- एल L आर्जिनिन, रेड मीट, पोल्ट्री, मछली और डेयरी उत्पादों में पाए जाने वाले नाइट्रिक ऑक्साइड का एक सब्सट्रेट है जिसे निम्न रक्तचाप के लिए भी जिम्मेबार माना जाता है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव प्लेटलेट एकत्रीकरण और एंडोथेलियल डिसंक्शन पर होता है, न रक्तचाप पर । इसका मतलब है कि यह उच्च रक्तचाप के दीर्घकालिक प्रबंधन में प्रभावी नहीं हो सकता है।
- विटामिन सी को भी उच्च रक्तचाप के लक्षणों को दूर करने में सहायक के तौर पर पेश किया जाता है और डायस्टोलिक रक्तचाप को प्रभावित किए बिना सिस्टोलिक रक्तचाप को 10 मिमी एचजी कम करने की बात कही जाती है। इसका मतलब है कि इसका दीर्घकालिक प्रभाव संदिग्ध है।
क्या हम वास्तव में उच्च रक्तचाप के निश्चित उपचार के लिए इन उपचारों पर अपना विश्वास रख सकते हैं?
इस तथ्य से कोई इनकार नहीं करता है कि उपरोक्त उपायों का उच्च रक्तचाप पर हल्का प्रभाव पड़ता है, लेकिन क्या अपने जीवन को इस हल्के लाभ के भरोसे छोड़ सकते हैं। मैं खुद हाइपरथायरायडिज्म से पीड़ित हूं, जबकि मैं इसे नियंत्रण में रखने के लिए योग का अभ्यास करता हूं और अपनी दवा का खुराक समय से लेता हूँ।
इसी ऐनोटेशन पर, दवाओं को लम्बे अनुसंधान के बाद डिज़ाइन किया गया है, विशेष रूप से कारण पर कार्रवाई करने के लिए। उदाहरण के लिए यदि उच्च रक्तचाप का अंतर्निहित कारण एथेरोस्क्लेरोटिक है, तो दवा की खुराक शरीर में लिपिड सामग्री को कम करने की कोशिश करेगी। इसी तरह यदि समस्या वैसोकॉन्स्ट्रिक्शन है, तो लक्षित दवा को निर्धारित किया जाता है कि विशिष्ट स्थान, विशिष्ट ऊतक (टिश्यू ), पर उम्मीद के अनुसार काम करे।
मैं आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, योग चिकित्सा का बहुत सम्मान करता हूँ परन्तु बात जब उच्च रक्तचाप जैसे बीमारी की हो तो मैं हमेशा अनुसंधान आधारित दवा का मार्ग लेना चाहूंगा। ये उपचार निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। चलो सबको एक साथ ले लेते हैं और हम थोड़ा और स्वस्थ हो सकते हैं।
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए काली मिर्च का प्रयोग (Black Pepper: Home Remedie for High BP in Hindi)
जब ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो आधे गिलास गुनगुने पानी में काली मिर्च पाउडर का एक चम्मच घोल लें। इसे दो-दो घंटे के बाद पीते रहें। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का उपचार होता है।
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए तरबूज का सेवन (Watermelon: Home Remedies for High BP in Hindi)
उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में तरबूज लाभ पहुंचाता है। तरबूज के बीज की गिरी तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इसका रोजाना एक-एक चम्मच सेवन (bp high treatment at home) करें।
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए नींबू का उपयोग (Lemon: Home Remedies for High BP in Hindi)
बढ़े हुए ब्लड प्रेशर में एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर तीन-तीन घण्टे के अन्तर में पीना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।
तुलसी और नीम से करें हाई बीपी कम करने के उपाय (Tulsi and Neem Water: Home Remedies for High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए पाँच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का इलाज (home remedies for high bp) होता है।
खाली पैर हरी घास पर चलने से उच्च रक्तचाप होता है कम (Bare Foot Morning Walk is Beneficial in High Blood Pressure in Hindi)
हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट तक चलना चाहिए। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाता है।
पालक और गाजर के जूस से करें हाई बीपी कम करने के उपाय (Palak and Carrot Juice: Home Remedies for High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ताजा पालक और गाजर का रस निकालें। इसे रोज पिएं। इसका रस लाभकारी सिद्ध होता है।
करेला से करें हाई बीपी कम करने के उपाय (Bitter-gourd: Home Remedies for High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए करेला और सहजन के फल का सेवन करें। यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण ठीक होते हैं।
ब्राउन राइस उच्च रक्तचाप को करे कंट्रोल (Brown Rice: Home Remedies to Get Relief from High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ब्राउन चावल खाना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोगियों को ब्राउन चावल बहुत लाभ देता है और हाई ब्लड प्रेशऱ के लक्षण दूर होते हैं।
मेथीदाना से करें हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल (Fenugreek: Home Remedies to Get Relief from High Blood Pressure in Hindi)
3 ग्राम मेथीदाना पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे प्रतिदिन खाने से लाभ मिलता है। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।
उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है टमाटर (Tomato: Home Remedies to Control High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए टमाटर का सेवन करें। टमाटर से हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है। रोजाना एक टमाटर या एक कप टमाटर का जूस पिएं।
उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है अनार (Pomegranate: Home Remedies for High Blood Pressure in Hindi)
आप अनार से बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। रोजाना एक अनार या अनार का जूस पीने से हाई ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए चुकंदर का सेवन (Pomegranate: Home Remedies to Control High Blood Pressure in Hindi)
आप चुकंदर से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। एक चुकंदर और आधी मूली लें। इनको छील कर इनके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। मिक्सर में डालकर जूस निकाल लें। यह जूस दिन में एक बार पीने से हाई बी.पी. कण्ट्रोल (home remedies for high bp) में आ जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए तिल के तेल का उपयोग (Sesame Oil: Home Remedies to Control High Blood Pressure in Hindi)
बीपी कम करने के लिए आप घरेलू उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप रोजाना अपने खाने में तिल के तेल का प्रयोग करें। इससे बीपी कम हो जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल (Turmeric: Home Remedies to Get Relief from High Blood Pressure in Hindi)
सबसे पहले किसी फल का जूस या स्मूदी बनाएं। फिर इसमें ताजा अदरक डालकर पीयें। इसके अलावा अपने खाने में प्रतिदिन अदरक का प्रयोग करें।
हाई बीपी को कम करने के लिए नारियल का प्रयोग (Coconut: Home Remedies to Control High Blood Pressure in Hindi)
आप नारियल से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। आप पूरे दिन में 2-3 बार नारियल पानी का प्रयोग करें। इससे हाई बीपी कम हो जाता है।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (When to Contact a Doctor?)
ब्लड प्रेशर का सामान्य से कम या अधिक होना, दोनों ही घातक होता है। जब मरीज का रक्तचाप 140-90 से अधिक होता है तो उस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहा जाता है। बीपी कम करने के घरेलू उपाय के बाद भी जब मरीज को हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण के रूप में सीने में दर्द और भारीपन महसूस हो, और सांस लेने में परेशानी हो। सिर दर्द हो, कमजोरी या धुंधला दिखाई दे तो मरीज को डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलना चाहिए, नहीं तो यह गंभीर रोग में परिवर्तित होकर घातक स्थिति तक पहुँच सकता है।
उच्च रक्तचाप से कैसे बचें? (How to Prevent High Blood Pressure?)
असंतुलित भोजन और जीवनशैली के कारण भी उच्च रक्तचाप होता है, और अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है कि हाई ब्लड प्रेशर होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। इसलिए आप हाई बीपी के लक्षणों का पता चलते ही आहार और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाएं ताकि बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण पा सकें।
–वजन बढ़ने के साथ अक्सर ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। अधिक वजन सोते समय सांस लेने में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इसलिए ब्लड प्रेशर कम करने का एक प्रभावी तरीका वजन कम करना (home remedies for high bp) है।
-प्रतिदिन 20-25 मिनट तक व्यायाम करें।
-स्वस्थ आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां, डेरी प्रोडक्ट्स एवं कम फैट वाले भोजन से बी.पी. कम हो जाता है।
-उच्च रक्तचाप के रोगी को अपनी डायट में मैग्निशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ अधिक खाने चाहिए।
-दूध, हरी सब्जियां, दाल, सोयाबीन, प्याज, लहसुन और संतरें में ये पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
-प्रतिदिन मेवे में 4 अखरोट एवं 5 से 7 बादाम खाएं।
-उच्च रक्तचाप में फलों में सेब, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, अनानास, मौसंबी, पपीता।
-हर रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 2 कलियां खाएं।
-खट्टे फल, नींबू पानी, सूप, नारियल पानी, सोया, अलसी और काले चने खाएं।
-रोजाना पानी अधिक मात्रा में पीये।
-भोजन के लिए सोयाबीन तेल इस्तेमाल करना चाहिए।
-सलाद में प्याज, टमाटर, मूली, गाजर, खीरा, गोभी का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
-बिना मलाई वाले दूध का सेवन करें।
-रक्तचाप उच्च होने में ओमेगा-3 भी शामिल करें।
-हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति को डार्क चॉक्लेट का सेवन (blood pressure normal karne ka tarika) करना चाहिए। डार्क चॉक्लेट बी.पी. कम करती है।
लोगों में हाई ब्लड प्रेशर ( High Blood Pressure ) एक आम समस्या बनती जा रही है, जिसे निंत्रित रखने के लिए लोगों को आजीवन ब्लड प्रेशर की दवाई लेनी होती है। हालांकि, इस दवाई के अपने नुकसान हैं। ब्लड प्रेशर के मरीज ( Patient ) पर धीरे धीरे इस दवा का प्रभाव कम होता जाता है, जिसकी वजह से चिकित्सक उन्हें हेवी डोज़ देने की सलाह देता है, लेकिन हेवी डोज़ का प्रभाव हमारे शरीर में मौजूद अंगों पर काफी तेज़ पड़ता है, जिसके चलते शरीर के किसी भीं अंग के खराब होने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती है।
दवाओं पर विश्वास ना रखने वाले कई लोग कुछ ज़रूरी एक्सरसाइज़ और संतुलित आहार के ज़रिये ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं। खासतौर पर अपने आहार का विशेष ध्यान रखना होता है। इसी तरह, वजन कम ( Weight Loss ) करने के लिए भी डैश डाइट प्लान बहुत प्रभावी है और यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के अलावा कई बीमारियों को दूर रखने में भी कारगर होता है।
क्या होता है डैश डाइट प्लान?
इस साधारण आहार में फल, सब्जियां, नट्स, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, मछली, मांस, बीन्स आदि होते हैं। डैश डाइट का सेवन कम नमक और तेल के साथ किया जाता है ताकि आप रक्तचाप की बीमारियों से बच सकें। डैश डाइट प्लान ( Diet Plan ) में, आपको केवल 1500-2300 मिलीग्राम सोडियम का सेवन करना होगा। इसके अलावा आपको शुगर, फैट और जंक फूड को भी नियंत्रित करना होगा।
डैश डाइट प्लान के दिशानिर्देश
यदि आप वजन कम करने के लिए डैश डाइट प्लान ( Diet Chart ) का पालन कर रहे हैं, तो खाने से मिलने वाली ऊर्जा की तुलना में अधिक ऊर्जा खर्च करें। रोजाना अपने गतिविधि स्तर की जांच करते रहें। ये चेक करते रहें कि, इसका असर आपकी सेहत पर कितना पड़ रहा है।आप कितना काम करते हैं, आप कितना शारीरिक काम करते हैं। रोज की कैलोरीजॉ का विशेष ध्यान रखें। चीनी, सोडियम युक्त भोजन से दूर रहें। हर हफ्ते अपना वजन जांचें, ताकि कितने समय में कितना वज़न कम हुआ इसका ज्ञान हो सके।
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इस हिसाब से फॉलो करें डाइट
सुबह 6:30 से 7:30 बजे के बीच एक कप भीगे हुए मेथी दानों का सेवन करें।
सुबह नाश्ते में 7:15 से 8:15 बजे के दौरान 1 अंडा, बिना चीनी का 1 गिलास जूस और एक ब्राउन ब्रेड खाएं।
फिर 10:00 से 10:30 बजे के बीच में 1 केला और एक गिलास जूस पीएं।
दोपहर का भोजन 12.30 से 1.00 के बीच करें। इस दौरान आप प्रोटीन या मशरूम, बीन्स सलाद को शामिल कर सकते हैं और आप इस सलाद में जैतून का तेल और फ्लैक्स सीड भी मिला सकते हैं।
स्नैक्स: 1 कप ग्रीन टी और 15 पिस्ता या एक कटोरी छोटे गाजर लें।
डिनर लगभग 7.00 बजे करें, इस दौरान ग्रिल्ड या बेक्ड फिश को सब्जियों के साथ खाया जा सकता है, 1 गिलास लो-फैट दूध या 1 कटोरी सब्जियों की फलियां, 1 ब्रेड, एक कप दही के साथ लें।
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इस बात का रखें खास ध्यान
इस आहार का पालन करते समय, सोडा, पिज्जा, नमकीन नट्स, एनर्जी ड्रिंक्स और नमकीन आदि खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें।
दूध में मौजूद पोटैशियम, कैल्शियम, विटामिन डी और फॉस्फोरस जैसे तत्व हाई बीपी को कंट्रोल करने में मददगार हैं। इसमें पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो रक्तचाप को तो संतुलित रखता ही है, साथ में ब्लड वेसल्स में ब्लड के फ्लो को भी सुचारू बनाए रखता है। इससे दिल से जुड़ी बीमारियों का रिस्क कम हो जाता है।
योग के 4 आसन जो आपका हाई ब्लड प्रेशर कम करने में मदद कर सकते हैं
हाई ब्लड प्रेशर के पीछे कई वजह हो सकती हैं, इनमें शामिल हैं फ़िज़िकल एक्टिविटी में कमी, फैमिली में पहले किसी को ये परेशानी रही हो, मोटापा और तनाव.
कुछ ख़ास वजहें, जैसे कि बढ़ती उम्र या फैमिली हिस्ट्री को छोड़ दें, तो बाक़ी कारणों से होने वाले हाइपरटेंशन को अपनी लाइफ़स्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाकर और अपनी रोज़मर्रा की आदतों में सुधार लाकर काफ़ी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.
ऐसे में योग आपकी काफ़ी मदद कर सकता है, क्योंकि योग के ज़रिए आपकी फ़िज़िकल एक्सरसाइज़ हो जाती है, आपका वज़न कंट्रोल में रहता है और स्ट्रेस यानि तनाव कम होता है.
हाई ब्लड प्रेशर से मुक़ाबला करने में योग किस तरह आपकी मदद कर सकता है?
योग में कुछ ख़ास आसन और शारीरिक क्रियाओं के तालमेल के साथ गहरी सांस लेने की तकनीक का इस्तेमाल किया है. सांस को अंदर खींचने और बाहर छोड़ने के दौरान इसपर ध्यान देने से आपके सांस लेने के तरीक़े को रेगुलेट करने में मदद मिलती है, जो सुकून महसूस कराता है और तनाव कम करता है. इससे ब्लड प्रेशर कम होने में मदद मिल सकती है.
योग शरीर को पूरी तरह से फ़िट रखने के उद्देश्य के साथ काम करता है. कई तरह के आसन शरीर के अंदरूनी और बाहरी हिस्सों को लक्ष्य बनाते हैं, जिससे शरीर में ताक़त, लचीलापन और सहनशक्ति बढ़ती है. इसके साथ ही आप अपने शरीर की ज़रूरतों और क्षमताओं के आधार पर हल्के-फुल्के और ज़ोरदार आसनों में से कोई भी चुन सकते हैं. अगर आपको हाइपरटेंशन है तो डॉक्टर की सलाह ज़रूर ले लें कि आपके लिए कौन सा आसन बेहतर रहेगा, क्योंकि ऐसे में कुछ आसन आपके लिए बहुत मुश्किल हो सकते हैं.
मोटापा हाइपरटेंशन के जोखिम की एक बड़ी वजह तो होता ही है, इससे डायबिटीज़ के अलावा हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी दिल की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है. फ़िज़िकल एक्सरसाइज़ के तौर पर अगर नियमित योगा किया जाए और साथ में डाइट भी हेल्थी ली जाए, तो आपको शरीर का वज़न कम करने में मदद मिल सकती है. वज़न कम होने से दिल बीमारी का जोखिम भी कम हो जाता है.
यहां चार ऐसे आसन बताए जा रहे हैं जो हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकते हैं:
1. बाधा कोणासन (Bound Angle Pose)
बाधा कोणासन ख़ून के बहाव में सुधार लाता है, दिल के कामकाज को बढ़ावा देता है, और ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है. ये आपके घुटनों, कमर और अंदरूनी जांघों की मसल को स्ट्रेच करता है.
तरीक़ा
- अपनी पीठ सीधी रखते हुए बैठ जाएं. पैर सीधे आपके सामने की तरफ़ फैले हुए हों.
- अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों के तलवों को आपस में जोड़ लें. इन्हें जितना हो सके अपने पेड़ू (नाभि के नीचे का हिस्सा) की तरफ़ खींचें.
- अपने घुटनों को जितना मुमकिन हो फ़र्श की ओर नीचे ले जाएं.
- इसी बैठी हुई पोज़ीशन में अपनी सांस पर ध्यान दें. इस आसन में 5 से 10 सांसों को रोके रहें, फिर छोड़ें.
2. अधोमुख श्वानासन (Downward-Facing Dog pose)
अधोमुख श्वानासन आपके हाथों, जांघों, पिंडलियों, हैमस्ट्रिंग (घुटने की पीछे की नस) और पैरों को स्ट्रेच करके आपकी बाहों और पैरों को मजबूत बनाता है. ये ख़ून के बहाव में भी सुधार लाता है.
तरीक़ा
- अपने हाथों को फ़र्श पर फैलाकर और घुटनों को मोड़कर फ़र्श पर बैठ जाएं. आपके घुटने आपके कूल्हों के नीचे और हाथ कंधों के नीचे हों.
- अपनी उंगलियों को फैलाएं, आपका वज़न समान रूप से उनपर और आपकी पूरी हथेली पर होना चाहिए.
- अपने पैरों को सीधा होने तक अपने घुटनों के बल खुद को उठाएं. अगर आप कर सकें तो अपनी हथेलियों और उंगलियों को फ़र्श पर सपाट रखते हुए अपनी एड़ी को धीरे-धीरे फ़र्श की तरफ़ ले जाएं.
- अपने पैरों को कूल्हे की दूरी के बराबर फैला लें और अपने सिर को अपनी ऊपरी बांहों के बीच रखें.
- इस पोज़ में, आपका शरीर अंग्रेज़ी का उल्टा “V” बन जाएगा, जिसमें आपके मुड़े हुए कूल्हे पहाड़ की छोटी की तरह ऊपर होंगे और आपके हाथ और पैर दोनों तरफ़ फैले होंगे.
- इसी पोज़ में रुककर सांस लें.
- 5 से 10 सांसों को रोकें, फिर छोड़ें.
3. सेतु बंध सर्वांगासन (Bridge Pose)
इस आसन से ख़ून के बहाव में सुधार आता है, ब्लड प्रेशर कम होता है और आपकी रीढ़ स्ट्रेच होती है.
तरीक़ा
- पीठ के बल फ़र्श पर लेट जाएं. घुटने मुड़े हों और पैर फ़र्श पर हों. दोनों पैरों के बीच कूल्हों के बराबर दूरी हो. दोनों बाहों को शरीर की सीध में दोनों ओर फ़र्श पर फैला लें. हथेलियां नीचे की ओर हों.
- सांस अंदर लेते हुए अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं, ताकि आपके घुटने, पेड़ू और सीना एक सीध में आ जाए.
- अपनी पोज़ीशन को सपोर्ट करने के लिए अपने कंधों और बाहों को एडजस्ट करें.
- इसी पोज़ में रहते हुए सांस लें.
- 5 से 10 सेकंड के लिए सांस रोकें, फिर धीरे से छोड़ें. ध्यान रहे कि इस आसन को करते हुए आपको अपनी गर्दन और पीठ को चोट लगने से बचाए रखना है.
4. शवासन (Corpse Pose)
शवासन से शरीर को आराम मिलता है, ख़ून के बहाव में सुधार आता है और ये तनाव से छुटकारा दिलाता है, जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है. ये गहरी नींद के लिए शरीर को तैयार करने में मदद करता है.
तरीक़ा
- फ़र्श पर पीठ के बल लेट जाएं.
- अपने पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें और अपने हाथों को अपने शरीर से कुछ इंच दूर फैला दें. हथेलियां ऊपर की ओर हों और उंगलियां बिलकुल फ़्री रहें.
- अपनी आंखें बंद करें और अपने पूरे शरीर को आराम देते हुए यूं महसूस करें कि शरीर के हर हिस्से से तनाव बाहर निकल रहा है.
- इसी पोज़ में रहते हुए सांस लें.
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